Thursday, March 13, 2025
Homeनया क्या हैं ?असम ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में बाथौइज़्म को मान्यता दी..

असम ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में बाथौइज़्म को मान्यता दी..

असम में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (BTR) ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में ‘बाथौइज़्म‘ को एक वैकल्पिक धर्म के रूप में शामिल किया है। इससे अब जन्म प्रमाण पत्र और प्रवेश फॉर्म जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में बाथौइज़्म को धर्म के रूप में दर्ज किया जा सकेगा।

बाथौइज़्म क्या है?

बाथौइज़्म बोडो समुदाय की पारंपरिक आस्था है, जो असम की सबसे बड़ी मैदानी जनजाति है। ‘बाथौ’ शब्द बोडो भाषा से निकला है, जिसका अर्थ है ‘पाँच गहन दार्शनिक विचार’। यह आस्था पाँच प्राकृतिक तत्वों की पूजा पर आधारित है:

  • बार (वायु)
  • सान (सूर्य)
  • हा (पृथ्वी)
  • ओर (अग्नि)
  • ओखरंग (आकाश)

इस आस्था में सर्वोच्च देवता ‘ब्रवराई बाथौ‘ को माना जाता है, जिसमें ‘ब्रवराई‘ शक्ति और ज्ञान के संदर्भ में ‘सबसे बुजुर्ग’ व्यक्ति को संदर्भित करता है।

महत्वपूर्ण पहलू:

  • सिजोऊ पौधा: बाथौइज़्म में सिजोऊ पौधे (यूफोरबिया स्प्लेंडेंस) पर केंद्रित है, जो बोडो लोगों के लिए जीवन या आत्मा का प्रतीक है।
  • सिजौ वृक्ष: बोडो लोग सिजौ वृक्ष को बांस की बाड़ से घिरी एक ऊँची वेदी पर लगाते हैं, जिसमें पाँच बांस की पट्टियों से बुने गए अठारह खंभे होते हैं, जो पाँच महत्वपूर्ण जीवन की घटनाओं का प्रतीक होते हैं:
    1. जन्म
    2. विवाह या प्रजनन
    3. दुःख
    4. खुशी
    5. मृत्यु

बाथौइज़्म को आधिकारिक मान्यता देना स्वदेशी आस्थाओं और परंपराओं के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत में विविध सांस्कृतिक प्रथाओं को सम्मानित करने के व्यापक प्रयास को दर्शाता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular