ब्लैक प्लास्टिक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

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ब्लैक प्लास्टिक : विषाक्तता और सुरक्षा पर विवाद

हाल ही में काले प्लास्टिक को लेकर चर्चा तेज हो गई है, जब एक अध्ययन ने इसमें संभावित विषाक्तता को लेकर अलार्म बजाया। शुरू में, इस शोध में दावा किया गया था कि काले प्लास्टिक के किचन उपकरणों में खतरनाक फ्लेम रिटार्डेंट (ज्वलनरोधी रसायन) पाए जाते हैं। हालांकि, बाद में इस अध्ययन में त्रुटियों को स्वीकार करते हुए जोखिम को पहले की तुलना में कम आंका गया। 

क्या है ब्लैक प्लास्टिक ?
ब्लैक प्लास्टिक मुख्य रूप से पुनर्नवीनीकरण (रिसाइकल किए गए) इलेक्ट्रॉनिक कचरे से बनाया जाता है। 
इसमें पुराने कंप्यूटर, टेलीविज़न और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्लास्टिक भाग शामिल होते हैं। 
इन इलेक्ट्रॉनिक्स में ब्रोमीन, एंटिमनी, सीसा (लेड), कैडमियम और मरकरी जैसे विषैले तत्व होते हैं। 
ये तत्व अग्निरोधक (फायर-रेसिस्टेंट) गुणों को बढ़ाने के लिए जोड़े जाते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। 

प्रारंभिक अध्ययन के निष्कर्ष  
इस अध्ययन को Chemosphere नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था। 
शोधकर्ताओं ने अमेरिका में बिकने वाले 203 काले प्लास्टिक उत्पादों का परीक्षण किया, जिसमें किचन के उपकरण और फूड कंटेनर शामिल थे। 
इनमें डिकाब्रोमो डिफिनाइल ईथर (BDE-209)नामक फ्लेम रिटार्डेंट पाया गया, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। 
यह रसायन अमेरिका में एक दशक पहले प्रतिबंधित कर दिया गया था। 
अध्ययन में कहा गया कि कुछ बर्तनों के उपयोग से लोगों को ऐसे स्तर पर एक्सपोज़र हो सकता है जो EPA (Environmental Protection Agency) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा के करीब है। 

त्रुटि सुधार: गलत गणनाएं
बाद के विश्लेषण में पाया गया कि शोधकर्ताओं ने EPA के संदर्भ खुराक (reference dose) की गणना में 10 गुना की गलती की थी। 
संशोधित आंकड़ों के अनुसार, काले प्लास्टिक के बर्तनों से होने वाला एक्सपोज़र EPA की सुरक्षित सीमा के भीतर है। 

क्या अब भी जोखिम है?
हालांकि यह संशोधन किया गया है, लेकिन अब भी ब्लैक प्लास्टिक की सुरक्षा को लेकर संदेह बना हुआ है। 
वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लेम रिटार्डेंट्स की सुरक्षित खुराक (safe dose) को लेकर कोई स्पष्ट सहमति नहीं है। 
मौजूदा एक्सपोज़र सीमाएं (exposure limits)कितनी सटीक हैं, यह भी बहस का विषय है। 
पर्यावरणविदों का सुझाव है कि लोग अपने पास मौजूद काले प्लास्टिक के उत्पादों का तब तक उपयोग करें जब तक वे अनुपयोगी न हो जाएं, ताकि बेकार प्लास्टिक का ढेर कम किया जा सके और टिकाऊपन (sustainability) को बढ़ावा मिले। 

रिसाइक्लिंग की समस्या
ब्लैक प्लास्टिक के अधिकांश उत्पाद रिसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त नहीं होते क्योंकि इनमें विषैले पदार्थ होते हैं। 
पुराने प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक रसायन रिसाइक्लिंग प्रक्रिया को जटिल बना देते हैं। 
यदि इन्हें दोबारा उपयोग किया जाता है, तो विषाक्त तत्व नए उत्पादों में भी मिल सकते हैं। 
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए बेहतर रिसाइक्लिंग नीतियों और सख्त नियमों की जरूरत है। 

निष्कर्ष
हालांकि प्रारंभिक अध्ययन ने ब्लैक प्लास्टिक को अधिक खतरनाक बताया था, लेकिन बाद में गलती सुधारने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि जोखिम अपेक्षाकृत कम है। फिर भी, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इस पर पूरी तरह सहमत नहीं हैं कि यह पूरी तरह सुरक्षित है। उपभोक्ताओं को सावधानी बरतनी चाहिए और सरकारों को बेहतर रिसाइक्लिंग और सुरक्षा मानकों पर ध्यान देना चाहिए।