चीन का Large Phased Array Radar (LPAR) और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

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चीन ने युन्नान प्रांत (म्यांमार सीमा के पास) में एक उन्नत Large Phased Array Radar (LPAR) स्थापित किया है। इसकी 5000+ किलोमीटर की रेंज भारत के रणनीतिक हितों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। यह भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) और भारत के मिसाइल परीक्षण स्थलों पर निगरानी रख सकता है।

📡 LPAR: क्या है यह तकनीक?

Large Phased Array Radar (LPAR) एक इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन किया जाने वाला रडार सिस्टम है, जो पारंपरिक रडार की तुलना में बहुत तेजी से लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है
✅ यह मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग और तेजी से डेटा प्रोसेसिंग में सक्षम है।
✅ यह बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च का शीघ्र पता लगा सकता है और उनकी गति, दिशा व प्रकार का विश्लेषण कर सकता है।
✅ यह आधुनिक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम से जुड़ सकता है, जिससे दुश्मन के मिसाइल हमलों का सामना करना आसान हो जाता है।

⚠️ भारत के लिए मुख्य खतरे

📍 1. रणनीतिक स्थान और निगरानी क्षमताएँ

✅ चीन का युन्नान प्रांत एक रणनीतिक स्थान है, जो म्यांमार, बंगाल की खाड़ी और भारतीय उपमहाद्वीप की ओर निगरानी रख सकता है।
✅ इस रडार की 5000+ किमी की रेंज भारत के मिसाइल परीक्षण स्थलों और सैन्य ठिकानों को ट्रैक कर सकती है।
Dr APJ Abdul Kalam Island (ओडिशा), जहां भारत अपनी मिसाइलों का परीक्षण करता है, पूरी तरह से चीन की निगरानी में आ सकता है।
✅ LPAR अग्नि-5, के-4, ब्रह्मोस-II और अन्य भविष्य की मिसाइल परियोजनाओं की निगरानी कर सकता है।

💣 2. परमाणु और रणनीतिक प्रतिरोध (Strategic Deterrence) को खतरा

⚡ भारत का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम चीन की निरंतर निगरानी में आ सकता है।
⚡ चीन को भारत के मिसाइल परीक्षणों की जानकारी मिलेगी, जिससे वह बेहतर इंटरसेप्शन और काउंटरमेजर्स विकसित कर सकता है।
⚡ इससे भारत की न्यूक्लियर स्ट्राइक कैपेबिलिटी पर असर पड़ सकता है।

🛡️ 3. भारत को कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए? (Countermeasures)

🔹 (A) इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध (Electronic & Cyber Warfare)

🔸 जैमिंग तकनीक विकसित करनी होगी, जिससे LPAR की निगरानी क्षमता को बाधित किया जा सके।
🔸 चीन के रडार सिस्टम में साइबर हमले की क्षमता विकसित करनी होगी।

🔹 (B) स्टील्थ और मिसाइल छलावरण (Stealth & Missile Concealment)

🔸 भारत को मिसाइल ट्राजेक्टरी मॉडिफिकेशन तकनीक विकसित करनी होगी, जिससे LPAR की ट्रैकिंग क्षमता को भटकाया जा सके।
🔸 हाइपरसोनिक ग्लाइड वेहिकल (HGV) और Lofted Trajectory Missiles विकसित करनी होंगी, जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है।

🔹 (C) स्वदेशी निगरानी प्रणाली (Indigenous Surveillance Systems)

🔸 भारत को स्वदेशी LPAR सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों की निगरानी की जा सके।
🔸 ISRO और DRDO को सुपर-हाई-रेंज रडार सिस्टम विकसित करने की दिशा में कार्य करना होगा।

🌍 क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

✅ यह रडार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा को अस्थिर कर सकता है
✅ चीन की यह रणनीति “String of Pearls” नीति का एक हिस्सा हो सकती है, जिससे भारत की नौसैनिक ताकत पर नजर रखी जा सके
✅ यह रडार संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के खुफिया डेटा एकत्र करने के लिए भी उपयोगी हो सकता है

भारत को अब तेज़ी से कदम उठाने होंगे, ताकि चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं का प्रभाव कम किया जा सके! 🚀

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