ज़ुरोंग द्वारा खोजे गए मंगल ग्रह के प्राचीन महासागर के प्रमाण

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चीन के ज़ुरोंग रोवर से प्राप्त हालिया निष्कर्षों से मंगल ग्रह पर एक प्राचीन महासागर के साक्ष्य मिले हैं। ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार डेटा ने मंगल की सतह के नीचे रेतयुक्त समुद्र तट जैसी संरचनाओं की उपस्थिति का संकेत दिया है। यह खोज उस सिद्धांत का समर्थन करती है कि लगभग 3.5 से 4 अरब वर्ष पहले मंगल पर ड्यूटेरोनिलस नामक एक विशाल महासागर मौजूद था। उस समय, मंगल की वायुमंडलीय परत अधिक सघन थी और जलवायु अपेक्षाकृत गर्म थी, जो जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान कर सकती थी।

ज़ुरोंग रोवर का मिशन और खोज

  • ज़ुरोंग रोवर मई 2021 से मई 2022 तक सक्रिय रहा।
  • इसने यूटोपिया प्लैनिशिया में 1.9 किमी (1.2 मील) की यात्रा की, जो मंगल के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक विशाल समतल मैदान है।
  • रोवर ने 80 मीटर (260 फीट) की गहराई तक सतह के नीचे की संरचनाओं की जांच के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का उपयोग किया।
  • इसे 10 से 35 मीटर (33 से 115 फीट) की गहराई पर रेत जैसी परतें मिलीं।
  • इन परतों की ढलान पृथ्वी के समुद्र तटों से मिलती-जुलती है, जो प्राचीन तटीय जमाव को इंगित करती हैं।

खोज के प्रभाव

इन समुद्र तट जैसी संरचनाओं की उपस्थिति दर्शाती है कि मंगल पर एक विशाल और दीर्घकालिक जल निकाय मौजूद था। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी की तरह ही लहरों और ज्वार-भाटे ने इन जमावों को आकार दिया होगा। यह प्राचीन महासागर न केवल मंगल के भूगोल और जलवायु को प्रभावित कर सकता था, बल्कि यह जीवन के संभावित विकास के लिए भी अनुकूल परिस्थितियाँ बना सकता था।

महासागर सिद्धांत को समर्थन देने वाले प्रमाण

शोधकर्ताओं ने इस संरचना के अन्य संभावित कारणों की जांच की, लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया।

  • हवा से बनी रेत के टीले और प्राचीन नदी जमाव की संभावनाओं पर विचार किया गया, लेकिन वे इस पैटर्न से मेल नहीं खाते।
  • जो संरचनाएँ मिली हैं, वे समुद्र तट की बनावट से अधिक मेल खाती हैं, जिससे महासागर सिद्धांत को बल मिलता है।
  • ये विशेषताएँ धूल भरी आंधियों और ज्वालामुखीय गतिविधियों द्वारा दबे रहने के कारण संरक्षित रह सकीं।

मंगल का भूवैज्ञानिक इतिहास

मंगल, सौरमंडल के अन्य ग्रहों के साथ, लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले बना था। माना जाता है कि यह महासागर लगभग एक अरब वर्षों तक अस्तित्व में रहा, जिसके बाद मंगल के जलवायु में नाटकीय परिवर्तन आए। इन बदलावों के कारण मंगल की सतह से पानी का लोप हो गया, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ मात्रा में पानी अब भी भूमिगत रूप में मौजूद हो सकता है।

ज़ुरोंग द्वारा खोजे गए मंगल ग्रह के प्राचीन महासागर के प्रमाण

चीन का “ज़ुरोंग” रोवर, जो 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा था, ने अपने मिशन के दौरान मंगल ग्रह की सतह से कई महत्वपूर्ण और दिलचस्प वैज्ञानिक खोजें की हैं। इनमें से एक प्रमुख खोज मंगल ग्रह के प्राचीन महासागर से संबंधित है। “ज़ुरोंग” रोवर ने मंगल ग्रह के इलाके में ऐसे प्रमाण पाए हैं जो यह संकेत करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर विशाल महासागर या पानी की बड़ी मात्रा रही होगी।

इस खोज के बारे में प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:

  1. पानी के अस्तित्व के संकेत: ज़ुरोंग रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर ऐसी चट्टानों और संरचनाओं का पता लगाया, जो पानी के प्रभाव के निशान दिखाते हैं। इन संरचनाओं में विशेष रूप से शैवाल जैसे पैटर्न और जल के खिसकने के कारण बने कटाव के निशान शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पानी पहले मंगल ग्रह की सतह पर था और धीरे-धीरे गायब हो गया।

  2. खगोलशास्त्रियों द्वारा किया गया विश्लेषण: ज़ुरोंग के डेटा के आधार पर, वैज्ञानिक यह निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मंगल ग्रह का एक बड़ा हिस्सा पहले पानी से ढका हुआ था, और यह महासागर आज के समय में सूख चुका है। इस महासागर के अस्तित्व के प्रमाण मंगल के “Utopia Planitia” क्षेत्र में मिले हैं, जो कि मंगल के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है।

  3. जीवाश्म और खनिज: मंगल पर पानी के अस्तित्व के प्रमाण के रूप में वहां पाए गए खनिज भी महत्वपूर्ण हैं। ज़ुरोंग ने ऐसे खनिजों का पता लगाया है जो केवल पानी के संपर्क में आने पर बन सकते हैं। इनमें विशेष रूप से “हाइड्रेटेड खनिज” और “सल्फेट” शामिल हैं, जो यह साबित करते हैं कि प्राचीन काल में पानी की पर्याप्त मात्रा थी।

  4. भूतकाल का पर्यावरण: वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर यह महासागर प्राचीन समय में जीवन के लिए अनुकूल पर्यावरण उत्पन्न कर सकता था। यह निष्कर्ष मंगल पर जीवन की संभावना को लेकर नए सवाल खड़े करता है। अगर जल था, तो शायद वहां जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां भी रही होंगी।

  5. मंगल ग्रह के मौसम में परिवर्तन: ज़ुरोंग रोवर द्वारा भेजे गए डेटा से यह भी स्पष्ट होता है कि मंगल ग्रह के मौसम में समय के साथ बड़े बदलाव आए हैं, जिससे पानी के बड़े हिस्से का वाष्पीकरण हुआ और महासागर सूख गए। यह खोज मंगल ग्रह के जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

भविष्य के शोध और संभावनाएँ

इन तटीय जमावों की खोज मंगल पर भविष्य के शोध के लिए नए रास्ते खोलती है। वैज्ञानिक आगामी मिशनों के माध्यम से इन क्षेत्रों का अध्ययन करके पिछले जीवन के संकेतों की तलाश कर सकते हैं। मंगल पर पानी के इतिहास को समझना इस ग्रह की जीवन को समर्थन देने की क्षमता को जानने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

एस्ट्रोबायोलॉजी में समुद्री तटों का महत्व

समुद्र तटों को प्राचीन जीवन के प्रमाण खोजने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति भी ऐसे ही वातावरण में हुई थी, जिससे ये निष्कर्ष और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। मंगल के प्राचीन तटों का अध्ययन हमें पृथ्वी से परे जीवन की उत्पत्ति और अस्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है।

 

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