भारत की पहली अन्वेषण लाइसेंस (EL) नीलामी: खनिज सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम

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भारत सरकार का खनन मंत्रालय (Ministry of Mines) 13 मार्च 2025 को गोवा में पहली अन्वेषण लाइसेंस (Exploration Licences – ELs) नीलामी आयोजित करने जा रहा है। यह सुधार भारत में महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में एक रोडशो और AI Hackathon 2025 का भी आयोजन किया जाएगा, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से खनिज संसाधनों की पहचान को बेहतर बनाने के तरीकों पर काम किया जाएगा।

🔹 पृष्ठभूमि: MMDR संशोधन अधिनियम, 2023

खनिज अधिनियम (MMDR Amendment Act, 2023) के तहत अन्वेषण लाइसेंस (Exploration Licences – ELs) की शुरुआत की गई थी। इस नए प्रावधान के तहत, निजी कंपनियों को खनिज खोज और अन्वेषण में भाग लेने का अधिकार मिलेगा।

🔹 नीलामी से जुड़े महत्वपूर्ण खनिज

इस नीलामी में शामिल 13 ब्लॉकों में महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जिनका उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी निर्माण और रक्षा उद्योगों में किया जाता है:

खनिज उपयोगिता
लिथियम (Lithium) बैटरी निर्माण (EVs, मोबाइल डिवाइसेस)
तांबा (Copper) इलेक्ट्रिकल और औद्योगिक उपयोग
सोना (Gold) आभूषण और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए
जस्ता (Zinc) धातु निर्माण और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
हीरा (Diamond) आभूषण उद्योग और औद्योगिक ड्रिलिंग
प्लैटिनम ग्रुप एलिमेंट्स (PGE) ऑटोमोबाइल और रक्षा उपकरणों में उपयोग

ये खनिज विभिन्न तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।

🎯 उद्देश्य:

🔹 भारत में खनिज अन्वेषण की गति को तेज करना।
🔹 निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
🔹 महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भरता बढ़ाना।

🔍 नीलामी प्रक्रिया:

पहले चरण में 13 अन्वेषण ब्लॉक की नीलामी होगी। इन ब्लॉकों में मुख्य रूप से जस्ता (Zinc), हीरा (Diamond), तांबा (Copper) जैसे खनिज शामिल हैं।

📌 नीलामी प्रक्रिया की मुख्य बातें:
ऑनलाइन बोली प्रक्रिया (पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए)
टेंडर दस्तावेज 20 मार्च 2025 से उपलब्ध होंगे।

इस पहल का महत्व:

🔹 यह नीलामी भारत के खनन क्षेत्र में बड़े बदलाव की शुरुआत है।
🔹 नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देगी।
🔹 निजी कंपनियों की भागीदारी से बेहतर अन्वेषण और कुशल खनन प्रथाओं को अपनाया जाएगा।
🔹 भारत की वैश्विक खनिज बाजार में स्थिति मजबूत होगी।

📈 अपेक्षित लाभ:

बेहतर खनिज संसाधन पहचान में मदद मिलेगी।
प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे खनन क्षेत्र में अधिक नवाचार आएंगे।
सतत खनन तकनीकों को अपनाने में वृद्धि होगी।
भारत की खनिज आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।

➡️ यह पहल भारत को खनन और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने में मदद करेगी।

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