भारत ने हाल ही में ‘No Money for Terror’ सम्मेलन के चौथे संस्करण में आतंकवाद से निपटने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस मंच पर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत ने यह भी उजागर किया कि डिजिटल तकनीकों के विकास से आतंकवादी वित्तपोषण की निगरानी और नियंत्रण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
आतंकवादी वित्तपोषण की चुनौतियाँ
💡 नई तकनीकों के कारण धन के प्रवाह को ट्रैक करना कठिन हो गया है।
🌍 सीमा पार लेनदेन में वृद्धि से आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता प्राप्त करना आसान हुआ है।
💻 डिजिटल मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) का उपयोग पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली की निगरानी को चुनौती देता है।
कानूनी ढांचे को मजबूत करना
⚖️ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (PMLA) में संशोधन कर निगरानी को अधिक प्रभावी बनाया गया है।
🔒 ये संशोधन संदिग्ध लेनदेन पर रोक लगाने और आतंकवादी संगठनों की वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
भारत में कई सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी और नियंत्रण में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं:
-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA):
🛡️ NIA को आतंकवादी वित्तपोषण और जाली मुद्रा से जुड़े मामलों की जांच करने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच में गहरी समझ और समन्वय को बढ़ावा दिया गया है। -
फेक इंडियन करेंसी नोट कोऑर्डिनेशन सेंटर (FCORD):
💰 FCORD की स्थापना सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और जाली मुद्रा से जुड़े मामलों में समन्वय बढ़ाने के लिए की गई है। इससे आतंकवादी समूहों के वित्तीय नेटवर्क को बाधित करने में मदद मिल रही है। -
वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND):
💼 FIU-IND आतंकवादी वित्तपोषण को पहचानने और रोकने के लिए नियम जारी करती है और संदिग्ध लेनदेन की जांच करती है। यह संस्थान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के निगरानी तंत्र के रूप में कार्य करता है।
वित्तीय संस्थानों की भूमिका
🏦 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्तीय क्षेत्र की निगरानी करता है और नियमों को सख्ती से लागू करता है।
📊 वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND) संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की पहचान कर उसे नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करता है।
🔍 आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए स्थायी कार्य समूह (Permanent Working Group) का गठन किया गया है, जिसमें वित्तीय और डिजिटल विशेषज्ञ शामिल हैं।
राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID)
🌐 NATGRID एक उन्नत IT प्लेटफॉर्म है जो सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद से जुड़ी जानकारियों का विश्लेषण करने और निगरानी करने में सहायता करता है।
🔍 यह प्रणाली खुफिया डेटा साझा करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करती है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय
भारत ने ‘No Money for Terror’ सम्मेलन में अपने वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। NATGRID, INTERPOL और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर भारत आतंकवाद के वित्तपोषण से लड़ने के लिए समन्वय बढ़ा रहा है।
-
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और सहयोग:
🌍 भारत 2018 से ‘No Money for Terror’ सम्मेलन में भाग ले रहा है, जिसमें देशों के बीच खुफिया साझेदारी और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। -
ग्लोबल सहयोग:
भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की बात करता है। आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी भारत जोर देता है।
निष्कर्ष
🌟 आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए भारत मजबूत कानून, डिजिटल निगरानी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वित्तीय संस्थानों के नियमन पर जोर दे रहा है। भारत की यह रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और वैश्विक आतंकवाद के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
Read More : क्वांटम कंप्यूटिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा