समय पर टीकाकरण: भारत में फ्लू से सुरक्षा

13

दिल्ली-एनसीआर में मौसमी इन्फ्लुएंजा के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह समय एहतियाती कदम उठाने और देश में वयस्क टीकाकरण को बढ़ावा देने का है। फिजीशियन और श्वास-रोग विशेषज्ञों के अनुसार, इस सीजन में प्रमुख वायरस इन्फ्लुएंजा ए और इन्फ्लुएंजा बी हैं।

फ्लू (इन्फ्लुएंजा) एक संक्रामक श्वसन रोग है, जिसे अक्सर आम सर्दी से भ्रमित किया जाता है, क्योंकि इसके लक्षण—खांसी, गले में खराश, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और भरी हुई नाक—समान होते हैं। हालांकि, दोनों अलग-अलग वायरस के कारण होते हैं और गंभीरता में अंतर होता है। फ्लू हल्की से गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जिसके चलते कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होने या देर से इलाज मिलने पर मृत्यु का भी खतरा रहता है।

संक्रमण बढ़ने के संभावित कारण:

  • मौसम में बदलाव: तापमान में उतार-चढ़ाव से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

  • वायु गुणवत्ता में गिरावट: दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रसार में योगदान कर सकती है।

  • वायरस के नए स्ट्रेन: फ्लू और कोविड-19 वायरस के नए रूप लक्षणों की गंभीरता बढ़ा सकते हैं और ठीक होने में अधिक समय ले सकते हैं।

भारत में मौसमी इन्फ्लुएंजा के दो पीक सीजन होते हैं-

  1. जनवरी से मार्च
  2. अगस्त से अक्टूबर (दक्षिण-पश्चिम मानसून का उत्तरार्ध)

भारत ने इन्फ्लुएंजा जैसी अस्वस्थता (ILI) और सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन्स (SARI) की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की है, जो लगभग रियल-टाइम डेटा पर काम करती है। कोविड-19 महामारी के दौरान इस व्यवस्था को और सुदृढ़ किया गया, जिसमें डायग्नोस्टिक लैब्स के नेटवर्क के जरिए निगरानी भी शामिल है।

महत्वपूर्ण तथ्य:
✅ इन्फ्लुएंजा की निगरानी मौसमी रुझानों और फैल रहे स्ट्रेनों की पहचान के लिए आवश्यक है।
✅ यह डेटा सही समय पर प्रभावी टीकाकरण योजनाओं को तैयार करने में मदद करता है।
✅ मौसमी वृद्धि पर स्वास्थ्य प्रबंधकों की नजर रहती है, जिससे समय पर आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।

सबसे अधिक जोखिम किसे है:

  • बुजुर्ग (50 वर्ष से अधिक उम्र)

  • बच्चे और शिशु

  • पहले से बीमार लोग

  • कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह:

  • मास्क पहनना: भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क का उपयोग करें।

  • स्वच्छता का पालन: बार-बार हाथ धोएं और साफ-सफाई का ध्यान रखें।

  • पोषण और व्यायाम: विटामिन युक्त आहार लें और नियमित हल्का व्यायाम करें।

  • वायु प्रदूषण से बचाव: प्रदूषण अधिक होने पर बाहर जाने से बचें और आवश्यक हो तो एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।

  • चिकित्सकीय परामर्श: लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें या गंभीर हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष:
फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए, टीकाकरण, सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर टीकाकरण और सही निगरानी प्रणाली से इस संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।